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दूधाधारी ,गीता प्रेमी, संत दादा जमनादास जी महाराज की जय ||

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भूमिका

दादा जमना दास जी महाराज जीवनी

दूधाधारी, गीता प्रेमी महाराज जमना दास जी हमारे समाज में  एक बहुत बड़े सिद्ध पुरुष हुए है जिन्होंने अपने तप व साधना के माध्यम से साधू संतो की श्रेणी मैं अपना नाम प्रसिद्ध करवाया है । उनके जीवन से प्रेरणा पाकर न जाने कितने  नर-नारीयो  ने अपना जीवन माननीय गुणों से परिपूर्ण बनाया है। उस जमाने में लोग डिग्री धारक नहीं थे।औपचारिक रुप से शिक्षा ग्रहण करने हेतु  केंद्र भी बहुत कम थे। ऐसे विकट परिस्थिति मैं भी उन्होंने अभ्यास द्वारा हर क्षेत्र में उच्च कोटि की निपुन्ता प्राप्त की थी। यही कारण था की वे गीता, रामायण, महाभारत, वेद, पुराण व शास्त्रों को पढ़ने, जानने का समझने में पूर्ण रूप से समर्थ हुए।

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मंदिर की झलक

श्री महाराज दादा जमनादास जी मंदिर  के पावन दर्शन |

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दादा जमनादास जी मंदिर

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दादा जमनादास जी मंदिर के अंदर के मनमोहक दर्शन

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दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः।

वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते।।

दुःखोंकी प्राप्ति होनेपर जिसके मनमें उद्वेग नहीं होता और सुखोंकी प्राप्ति होनेपर जिसके मनमें स्पृहा नहीं होती तथा जो राग भय और क्रोधसे सर्वथा रहित हो गया है वह मननशील मनुष्य स्थिरबुद्धि कहा जाता है।

 --- श्रीमद् भगवद्गीता, अध्यायं 2, श्लोकं 56

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